निकायों की 18 प्रमुख सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध होंगी
उत्तराखण्ड सत्य,देहरादून
उत्तराखंड के सभी नगर निकायों में अब नागरिक सेवाएं डिजिटल होने जा रही हैं। जल्द ही राज्यभर में 18 प्रमुख नगर सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे लोगों को घर बैठे ही सुविधाएं मिल सकेंगी। अब पानी का टैंकर मंगवाने से लेकर पालतू कुत्तों का पंजीकरण कराने और फायर एनओसी प्राप्त करने तक की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो जाएगी। इसके लिए शहरी विकास विभाग की महत्वाकांक्षी योजना म्युनिसिपल शेयर्ड सर्विस सेंटर (एमएसएससी) प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। केंद्र ने इस परियोजना के लिए उत्तराखंड को 22-8 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। शहरी विकास विभाग ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के सहयोग से इस परियोजना का प्रस्ताव इसी वर्ष जुलाई में केंद्र को भेजा था। यह प्रस्ताव राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (एनयूडीएम) के तहत आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रलय को प्रेषित किया गया था। गौरव की बात यह है कि देशभर के केवल 10 राज्यों को इस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है, जिनमें उत्तराखंड भी शामिल है। इस परियोजना के लागू होने से नगर निकायों में डिजिटल शासन प्रणाली को नई गति मिलेगी। सभी नगर निकायों के लिए एकीकृत प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा, जिस पर 18 सेवाएं एक ही क्लिक पर उपलब्ध होंगी। इसके तहत निकाय कार्यालयों में आईटी इंफ्ास्ट्रक्चर को उन्नत किया जाएगा, डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी और कर्मचारियों को नई तकनीक पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। एमएसएससी परियोजना के तहत प्रदेश में देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी और रुद्रपुर में आधुनिक नगर सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। यह केंद्र पासपोर्ट सेवा केंद्र की तर्ज पर होंगे, जहां नागरिकों को एक ही स्थान पर नगर निगम से संबंधित कई सेवाओं का लाभ एक साथ मिल सकेगा। इस योजना के तहत प्रॉपर्टी टैक्स आकलन और भुगतान, विविध शुल्क एकत्रीकरण, पानी एवं सीवेज कनेक्शन प्रबंधन, ट्रेड लाइसेंस, शिकायत निवारण, फायर एनओसी, वित्तीय एवं लेखा मॉडड्ढूल, स्लज निकासी प्रक्रिया, पालतू कुत्तों का पंजीकरण, ई-वेस्ट प्रबंधन, कम्यूनिटी हॉल बुकिंग, परिसंपत्ति प्रबंधन, रेहड़ी-ठेली प्रबंधन, विज्ञापन व होर्डिंग अनुमति, निर्माण एवं ध्वस्तीकरण कचरा प्रबंधन, नागरिक अनुरोध सेवाएं (जैसे पेयजल टैंक या मोबाइल टॉयलेट), नगर सेवा केंद्र और जीआईएस मॉडड्ढूल जैसी सेवाएं डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगी। यह कदम राज्य में स्मार्ट अर्बन गवर्नेंस की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित होगा। इससे न केवल नागरिकों की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता में भी उल्लेखनीय सुधार आएगा।

 
									 
					