हल्द्वानी से हेली सेवा की तैयारी, मात्र तीन मिनट में तय होगा सफर, किराया करीब एक हजार
उत्तराखण्ड सत्य,हल्द्वानी
हल्द्वानी से भवाली स्थित विश्वप्रसिद्ध कैंची धाम तक की यात्र अब कुछ ही मिनटों में पूरी हो सकेगी। उत्तराखंड सरकार और निजी हेली सेवा प्रदाता कंपनियां मिलकर एक ऐसी योजना को आकार देने जा रही हैं, जिससे यात्री केवल तीन मिनट के हवाई सफर में बाबा नीब करौली महाराज के धाम के दर्शन कर सकेंगे। यह पहल धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। कैंची धाम की ख्याति देशभर ही नहीं, बल्कि दुनिया के अनेक देशों तक फैली हुई है। यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अभिनेत्री से लेकर उद्योगपति, फैशन डिजाइनर से लेकर आईटी क्षेत्र की हस्तियां- अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों से लोग यहां आस्था से जुड़ते हैं। 15 जून को लगने वाले वार्षिक भंडारे में तो लाखों की भीड़ उमड़ती है। यही वजह है कि मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रें में ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। अब सरकार इस चुनौती को अवसर में बदलने जा रही है। कुमाऊं क्षेत्र में हवाई सेवाओं का नेटवर्क हाल के वर्षों में तेजी से विकसित हुआ है। हल्द्वानी से रोजाना लगभग डेढ़ सौ यात्री पिथौरागढ़, मुनस्यारी, अल्मोड़ा, चंपावत और बागेश्वर के लिए उड़ान भर रहे हैं। हेरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड ने इस रूट पर विश्वसनीयता और सुविधाजनक सेवाओं के माध्यम से अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। अब कंपनी ने हल्द्वानी से कैंची धाम के लिए अत्यंत लघु हवाई कॉरिडोर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। कंपनी के बेस मैनेजर रवींद्र सिंह के अनुसार, श्रद्धालुओं की ओर से इस रूट की सबसे अधिक मांग सामने आ रही है। कंपनी ने जिला प्रशासन से कैंची धाम क्षेत्र में हेलीपैड के लिए स्थान चिन्हित करने का प्रस्ताव भेजा है। स्वीकृति मिलते ही शटल सेवा शुरू की जाएगी, जिसके तहत यात्री केवल तीन मिनट के सफर में मंदिर परिसर के निकट पहुंच जाएंगे। किराया एक हजार रुपये के आसपास रखने पर मंथन चल रहा है। अंतिम निर्णय कंपनी और राज्य सरकार के बीच होने वाली वार्ता के बाद तय किया जाएगा। स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग इस प्रस्ताव को क्षेत्रीय विकास और धार्मिक पर्यटन सर्किट के विस्तार के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मान रहे हैं। इसी क्रम में पिथौरागढ़ से धारचूला तक एक नया सर्किट जोड़ने की योजना भी बनाई जा रही है। चारधाम यात्र के बाद अब कुमाऊं में भी हेली सेवाओं को लेकर उत्साह लगातार बढ़ रहा है। 24 जनवरी 2024 को शुरू हुई हल्द्वानीदृपिथौरागढ़ सेवा के बाद हवाई संपर्क का दायरा कई जिलों तक बढ़ चुका है। केवल डेढ़ वर्ष के भीतर स्थिति यह हो गई है कि कुमाऊं के 14 अलग-अलग सर्किटों में चल रही हेली सेवाओं में 80 से 90 प्रतिशत सीटें रोजाना भर जाती हैं। सरकार और हेली सेवा कंपनियों का मानना है कि कैंची धाम को हवाई मार्ग से जोड़ने से श्रद्धालुओं की सुविधा तो बढ़ेगी ही, साथ ही आसपास के क्षेत्रें में रोजगार, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। पर्वतीय सड़कों पर लगने वाला समय और दूरी दोनों कम होंगे। विशेषकर बुजुर्ग यात्रियों और विदेशी श्रद्धालुओं के लिए यह सेवा बड़ा आकर्षण सिद्ध हो सकती है। तीन मिनट के इस हवाई सफर की शुरुआत केवल एक परिवहन साधन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक पर्यटन के आधुनिक मॉडल की मजबूत मिसाल हो सकती है। कैंची धाम की लोकप्रियता और कुमाऊं के हवाई सर्किट का तेजी से विस्तार एक साथ मिलकर उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र को नए स्वरूप में सामने ला रहे हैं।

 
									 
					