जैसा कि नाम से ही स्पस्ट है, कि हमारा सनातन धर्म अनादि है, क्योंकि धरती पर जितने भी धर्म हैं, उनमें से सभी के कोई न कोई प्रवर्तक हैं, किन्तु सनातन ही एक ऐसा धर्म है, जिसका कोई एक प्रवर्तक नहीं है। यह अनादि काल से ऐसा ही सतत प्रवाहमान है । इसकी मान्यताएं और इसके पर्व अनुपम व अद्वतीय हैं ।
वर्तमान में प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ को ही देखिए जो संसार का अजूबा है। इस महापर्व के दौरान कम से कम 30 करोड़ लोगों के गंगा स्नान करने की संभावना है। जो अन्य धर्मावलंबियों के लिए कल्पनातीत है, किन्तु हम हिंदुओं के लिए यह सामान्य सी घटना है। क्योंकि हम लोग युगों-युगों से इसके अभ्यस्त हैं ।
विशेष बात यह है कि हमारे ही देश के कुछ वामपंथी विचारों से पोषित हिन्दू ऐसे हैं जो ऐसे आयोजनों पर कटाक्ष करते हैं, किन्तु इन पापियों दुरात्माओं के लिए जबाब हैं ऐसे हजारों विदेशी श्रद्धालु जो गैर हिन्दू हैं तथापि उनकी ऐसे आयोजनों में गहरी आस्था है।
इस वर्ष कुम्भ स्नान करने ही नहीं अपितु 13 जनवरी से 12 फरवरी 2025 तक के कल्पवास के लिए संसार के कुछ गिने-चुने उद्योगपतियों में से एक एपल के सह संस्थापक ( दिवंगत ) श्री स्टीव जॉब्स की धर्मपत्नी श्रीमती लॉरेन पॉवेल कुम्भ स्नान के लिए आ रहीं हैं (जो 25 अरब डॉलर की स्वामिनी हैं )। उनका इस आयोजन में आना और कल्पवास करना उन सभी विधर्मियों के गाल पर तमाचा है, जो ऐसे आयोजनों में अपनी अनास्था प्रकट करते हैं ।
इतना ही नहीं हमारे देश की कुछ महान नारियाँ भी इस महापर्व में कल्पवास के लिए समय समय पर आ रहीं हैं। इनमें से प्रमुख हैं इंफ़ोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष तथा राज्यसभा सांसद श्रीमती सुधा मूर्ति जी, जिंदल समूह की चेयरपर्सन श्रीमती सावित्री जी जिंदल तथा देश की प्रख्यात सिने स्टार तथा भाजपा की सांसद श्रीमती हेमामालिनी जी।
यह कुछ ऐसी नारियों के नाम हैं, जिन्होंने प्रगति को पंख दिए हैं, जिन्होंने शोहरत के शिखर को चूमा हैं। इनका वहाँ होना ही कुम्भ के माहात्मय को स्वयं सिद्ध करता है ।
आइये इस आस्था के महापर्व में हम आप सभी कुंभ में स्नान कर अपने जीवन को सफल और सार्थक बनायें । पता नहीं अगले कुम्भ में 12 वर्ष बाद कौन रहेगा और कौन विदा कर जाएगा। अतः कल की प्रतीक्षा न करते हुए आज को ही यादगार बनायें ।
*इस हेतु पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा महाकुंभ मेला में विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित किया जा रहा है। संलग्न निमंत्रण पत्र को ही मेरा व्यक्तिगत आमंत्रण पत्र स्वीकार करें।*
डॉ. राकेश मिश्र
*(अध्यक्ष, पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास)*