उत्तराखण्ड सत्य,देहरादून
दीपोत्सव की जगमगाती रात में जब पूरा प्रदेश दीपों की लौ से आलोकित हो रहा था,घर-घर उल्लास और उमंग का माहौल था, उसी समय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी दीपावली को कुछ अलग ढंग से मनाने का निर्णय लिया। वे राजधानी देहरादून के उस कोने में पहुँचे, जहाँ अब भी आपदा से जूझ रहे परिवारों के घरों में अंधेरा पसरा था। मुख्यमंत्री ने उनके बीच पहुँचकर न केवल उनकी व्यथा सुनी, बल्कि उन्हें यह भरोसा भी दिलाया कि सरकार उनके पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।दीपावली की रात मुख्यमंत्री धामी का यह कदम एक संवेदनशील और जनसमर्पित नेता की छवि को और भी प्रखर बना गया। सहस्रधारा क्षेत्र के कार्लीगाड़ के मझाड़ा गांव में आपदा प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर उन्होंने कहा कि सरकार ने पुनर्वास और राहत कार्यों को प्राथमिकता में रखा है और हर प्रभावित परिवार को जल्द सुरक्षित आश्रय मिल सके, इसके लिए प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि दीपावली का सच्चा अर्थ तभी पूर्ण होता है जब हम दूसरों के जीवन में भी रोशनी फैला सकें। उनकी इस पहल से आपदा पीड़ितों के चेहरों पर आशा की हल्की मुस्कान लौट आई।युवा मुख्यमंत्री के रूप में पिछले चार वर्षों में पुष्कर सिंह धामी ने कई कठिन दौरों का सामना किया है। जब उन्होंने राज्य की कमान संभाली, तब कई मोर्चों पर चुनौतियाँ खड़ी थीं। विधानसभा चुनाव में विजय के बाद भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठे तो उन्होंने दृढ़ता से कार्रवाई कर युवाओं के विश्वास को पुनः स्थापित किया। दो बार उन्होंने इस विकराल समस्या को सुलझाकर अपनी राजनीतिक सूझबूझ और प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण दिया।हाल ही में उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग हादसे ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था। उस कठिन समय में मुख्यमंत्री धामी ने जिस धैर्य और तत्परता से राहत कार्यों की निगरानी की, उसने हर किसी को प्रभावित किया। उसी तर्ज पर वे उत्तरकाशी के धराली और चमोली जिले के थराली में आई भीषण आपदा के दौरान भी सबसे पहले मौके पर पहुँचे और राहत व पुनर्वास कार्यों का नेतृत्व किया। वर्षा ऋतु के अंतिम दिनों में जब देहरादून भी अतिवृष्टि के प्रकोप से नहीं बच सका, तब भी मुख्यमंत्री ने तत्परता से प्रभावितों के बीच जाकर उन्हें हिम्मत और सहायता का भरोसा दिया।दीपावली पर उन्होंने न केवल पीड़ितों के बीच जाकर संवेदनशीलता दिखाई, बल्कि अपने राजनीतिक शिष्टाचार का भी परिचय दिया। मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से उनके आवास पर जाकर भेंट की और उन्हें दीपावली की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों भुवन चंद्र खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, डॉ- रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत के अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से भी आत्मीय भेंट की।अस्वस्थ चल रहे खंडूड़ी से मुलाकात के दौरान धामी ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। वहीं, हरीश रावत से मुलाकात के पीछे केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि सच्ची संवेदना थी। कुछ दिन पहले दिल्ली से लौटते समय मेरठ में हरीश रावत की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। उस समय मुख्यमंत्री धामी ने फोन पर उनका हाल जाना था और दीपावली के अवसर पर स्वयं उनके आवास जाकर स्वास्थ्य की जानकारी ली।मुख्यमंत्री धामी दीपोत्सव के बीच भाजपा संगठन से संवाद करना भी नहीं भूले। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों से वर्चुअल माध्यम से वार्ता की, उन्हें दीपावली की शुभकामनाएँ दीं और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने का आग्रह किया।नवरात्र से लेकर दीपावली तक मुख्यमंत्री धामी ने स्वदेशी अपनाओ अभियान को भी विशेष बल दिया। वे कई बार बाजारों में स्वयं जाकर स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी करते नजर आए। उनका यह व्यवहारिक संदेश आम लोगों को फ्देशी अपनाओ, आत्मनिर्भर बनोय् का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है

 
									 
					