करोड़ों का दांव, कर्ज और बर्बादी की राह पर रईसजादे, रूद्रपुर में भी चल रहे जुए के अड्डे
उत्तराखण्ड सत्य,रूद्रपुर
सीमावर्ती नेपाल के चमक -दमक भरे कैसिनों में रुद्रपुर के जुआरी तेजी से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। आलम यह है कि शहर और आसपास के इलाकों से रोजाना दर्जनों लोग कैसिनो की ओर रूख कर रहे हैं। इनका परिणाम यह हो रहा है कि कई व्यापारी और संपन्न परिवार कर्ज और बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं। नेपाल में फिलहाल तीन बड़े कैसिनो सक्रिय हैं, जो पूरी तरह भारतीय जुआरियों के सहारे गुलजार हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन कैसिनों में नेपाली नागरिकों की एंट्री पर रोक है और केवल भारतीयों को ही आधार कार्ड के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। जैसे ही जुआरी सीमा पार करते हैं, कैसिनो प्रबंधन की गाड़ियां उन्हें सीधे कैसिनो तक ले जाती हैं और वापस सीमा तक छोड़ भी देती हैं। प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। जुआरियों को आकर्षित करने के लिए मुफ्त शराब, कैबरे डांस और अन्य मनोरंजन की व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। बड़े दांव लगाने वालों के लिए रातभर ठहरने की आलीशान व्यवस्था भी मुफ्त में उपलब्ध रहती है। सूत्रें का दावा है कि रुद्रपुर के कुछ रईसजादे नेपाल के कैसिनों में बाकायदा जुए के काउंटर चला रहे हैं। इनमें से कई की पहुंच गोवा तक भी है, जहां वे अपने नेटवर्क के सहारे जुए के कारोबार से जुड़े हैं। बताया जा रहा है कि कैसिनों में रोजाना करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है, जिसमें रुद्रपुर के व्यापारी व युवा बड़ी संख्या में शामिल हैं। कैसिनों के इस नशे ने कई परिवारों को तबाह कर दिया है। कई व्यापारी जिन्होंने जुए में अपनी जमा-पूंजी गँवा दी, अब कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। कुछ मामलों में परिवारिक कलह और सामाजिक बदनामी तक की स्थिति बन चुकी है। मगर कैसिनो की चकाचौंध और रातभर की रंगीनियों में खोकर लोग अपनी आर्थिक और सामाजिक कीमत चुकाने को मजबूर हैं। पिछले दिनों पुलिस प्रशासन ने नेपाल जाकर जुआ खेलने वालों पर नकेल कसने की बात कही थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। फिलहाल स्थानीय स्तर पर भी जुए के अîóे सक्रिय हैं, जिनमें हर रोज करोड़ों रुपये का दांव लगाया जाता है। रूद्रपुर में गुचुप तरीके से जुए के अड्डे गुलजार हो रहे हैं लेकिन इसके बावजूद पुलिस- प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। नेपाल के कैसिनों की चकाचौंध में डूबते रुद्रपुर के जुआरी केवल अपनी संपत्ति ही नहीं गँवा रहे, बल्कि यह प्रवृत्ति समाज के नैतिक और आर्थिक ताने-बाने के लिए भी खतरे का संकेत है। जागरूक लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई और जन जागरूकता अभियान नहीं चलाए गए, तो आने वाले समय में यह
प्रवृत्ति भयावह रूप ले सकती है