नई दिल्ली। देश के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्याय ‘आपातकाल’ की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शनी भारतीय लोकतंत्र पर आपातकाल के प्रभाव और उस दौरान हुई संवैधानिक अव्यवस्थाओं को जनता के सामने लाने के उद्देश्य से लगाई गई थी। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा आपातकाल सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं था, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला था। हमें उस समय को याद रखना होगा ताकि भविष्य में फिर कभी ऐसा दुस्साहस न हो सके।
इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा आपातकाल का समय हमें यह सिखाता है कि नागरिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा कितनी जरूरी है। आज की पीढ़ी को यह जानना चाहिए कि लोकतंत्र की कीमत कितनी बड़ी है। प्रदर्शनी में 1975 से 1977 तक आपातकाल के दौरान की घटनाओं, समाचार पत्रें की कतरनों, गिरफ्तारियों, सेंसरशिप और जन आंदोलन के दस्तावेजों को बड़े विस्तार से प्रदर्शित किया गया। साथ ही, इसमें जनसंघ और अन्य संगठनों द्वारा लोकतंत्र की बहाली हेतु चलाए गए आंदोलनों को भी चित्रें व ग्राफिक्स के माध्यम से दर्शाया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा यह प्रदर्शनी न केवल इतिहास का स्मरण है, बल्कि वर्तमान और भविष्य को चेतावनी भी है कि तानाशाही प्रवृत्तियों के खिलाफ सदैव सजग रहना होगा।
इस दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता पंकज जैन ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ भाजपा नेता कपिल मिश्रा, एनडीएमसी के वाइस चेयरमैन कुलजीत सिंह चहल, सांसद प्रवेश वर्मा, भाजपा नेता श्री आशीष, एवं मनजिंदर सिंह सिरसा सहित कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।