कांग्रेस को हाशिये पर ले जा रही गुटबाजी,आगामी चुनावों में भुगतना पड़ेगा खामियाजा
उत्तराखण्ड सत्य, रूद्रपुर
एक तरफ भाजपा आगामी 2027 में होने वाले विधासभा चुनाव और निकट भविष्य में होने जा रहे पंचायत चुनावों के लिए जोर शोर से जुट गयी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस में चल रहा अंदरूनी घमासान खत्म नहीं हो पा रहा है। तराई में कांग्रेस के लोग खुद ही अपनी पार्टी की जड़ें खोदने का काम कर रहे हैं। बीते कुछ दिनों से तराई के कद्दावर कांग्रेस नेता तिलकराज बेहड़ और किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह लाडी के बीच छिड़ी जंग अब सड़कों पर आती नजर आ रही है। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व इस घमासान को थामने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नजर नहीं आ रहा। तराई में कांग्रेस लम्बे समय से गुटबाजी के चलते हाशिये पर पहुंचती नजर आ रही है। जिन कांग्रेसियों को सत्ता के िखलाफ विपक्ष की भूमिका निभानी थी वो आपस में ही जुबानी जंग में लगे हैं और पार्टी को खोखला बना रहे हैं। किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष के करीबी माने जाने वाले हरेंद्र सिंह लाडी ने बीते दिनों प्रेस वार्ता करके विधायक तिलकराज बेहड़ पर फिर जुबानी हमला बोला। तो कांग्रेस विधायक तिलकराज बेहड़ मीडिया के सामने आए और जमकर हरेंद्र सिंह लाडी पर बरस पड़े। हरेंद्र सिंह लाडी ने बेहड़ पर विधानसभा चुनाव में गदरपुर और रुद्रपुर की सीटों पर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों को हरवाने का गंभीर आरोप लगाया था। लाडी ने कहा कि बेहड़ की भाजपा से साठगांठ है। कहा कि बेहड़ ने अपने अहम के चलते अपनी ही पार्टी को कमजोर करने का काम किया है। किच्छा विधानसभा में अधिक विकास कार्य होने का यही कारण है कि किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ भाजपा से मिले हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं का विरोध करते हैं, जिससे पार्टी कमजोर हो रही है। हरेन्द्र लाडी ने बेहड़ पर अंहकारी होने जैसे आरोप भी लगाये। दूसरी तरफ किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ ने भी अपने रुद्रपुर स्थित आवास पर प्रेस वार्ता आयोजित की और हरेंद्र सिंह लाडी को जबाव दिया। उन्होंने कहा इस जुबानी जंग की शुरुवात लाडी ने ही की है वो तो पीछे हटने वाले नहीं है उन्होंने हरेंद्र लाडी को दंगे का आरोपी बताया। उन्होंने कहा कि अब वह चुप रहने वाले नहीं है उन्होंने हरेन्द्र सिंह लाडी का कच्छा चिटठ दिल्ली में हाईकमान के सामने खोलने का भी ऐलान किया। वही किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़ के समर्थन में रुद्रपुर से कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी रहे कांग्रेस नेता मोहन खेड़ा ने रुद्रपुर के सिटी क्लब में प्रेसवार्ता आयोजित कर अजीबोगरीब बयान दिया है। मोहन खेड़ा ने कहा अभी हम तैयारी कर रहे है पहले हम आपस में लड़, लें उसके बाद हम विपक्ष से लड़ेंगे। उन्होंने कहा अभी भी कांग्रेस विपक्ष से लड़ रही है, लेकिन बाद में मजबूती के साथ लड़ेगी। उन्होंने कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हरेंद्र सिंह लाडी पर भी जमकर निशाना साधा। कांग्रेस नेताओं के बीच गुटबाजी और जुबानी जंग नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार कांग्रेसियों की गुटबाजी सड़क पर आ चुकी है। गुटबाजी का ही नतीजा है कि कांग्रेस को हर चुनाव में मुंह की खानी पड़ती है। हाल ही में हुए निकाय चुनाव उससे पहले हुए विधान सभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस को गुटबाजी के कारण ही कई सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़ा। फिलहाल पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ की नाराजगी से कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। पांच बार के विधायक पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ का तराई की राजनीति में पिछले पांच दशकों से खासा दखल रहा है। भाजपा से कांग्रेस में आने के बाद उन्होंने तराई में कांग्रेस को नई ताकत दी थी। हालाकि मोदी लहर के चलते दो बार वह रूद्रपुर से चुनाव हार गये लेकिन इसके बावजूद सियासत में उनका सिक्का कायम रहा। हार के बावजूद उन्होंने जिले में कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने किच्छा विधानसभा से चुनाव लड़ने का फैसला लिया और भाजपा से किच्छा सीट छीन ली। बेहड़ को तराई में राजनीति का भीष्म पितामह माना जाता है लेकिन आज वह अपनी ही पार्टी में उपेक्षित नजर हैं। पार्टी में प्रदेश स्तर पर चल रही गुटबाजी के चलते बेहड़ की लम्बे समय से अनदेखी होती आ रही है। पूर्व में करीब एक वर्ष तक बेहड़ का स्वास्थ्य खराब होने के बाद बेहड़ की अनदेखी का सिलसिला और बढ़ता गया है। रूद्रपुर महानगर अध्यक्ष की घोषणा के लिए भी बेहड़ से कोई राय नहीं ली गयी और बेहड़ की आपत्ति के बावजूद जगदीश तनेजा को हटाकर सीपी शर्मा को महानगर अध्यक्ष घोषित कर दिया गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि जगदीश तनेजा ने कांग्रेस से किनारा कर भाजपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस में समय समय पर गुटबाजी और अंदरूनी कलह का तूफान कहीं न कही कार्यकर्ताओं का मायूस कर रहा है, जिसके चलते कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता भी पार्टी से छिटकने लगे हैं। मौजूदा समय में जहां भाजपा आगामी पंचायत चुनाव और विधाानसभा चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना तो दूर गुटबाजी पर ही अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है, जिसका खामियाजा पार्टी को आगामी चुनावों में फिर भुगतना पड़ सकता है।