उत्तराख्ण्ड सत्य,रूद्रपुर
भारत की कर प्रणाली में एक ऐतिहासिक मोड़ लेते हुए, वर्ष 2025 के जीएसटी सुधारों ने देश के आर्थिक, सामाजिक और व्यापारिक परिदृश्य में एक नई दिशा का संकेत दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में पारित इन सुधारों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस घोषणा की साकार रूपरेखा के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आमजन को कर बोझ से राहत देने और व्यापार को सुगम बनाने का वादा किया था। 1 जुलाई 2017 को लागू हुए जीएसटी ने भारत की कर व्यवस्था को एकीकृत करते हुए व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में जो शुरुआत की थी, वह अब अगले चरण में प्रवेश कर चुकी है। 2025 के सुधार इस दिशा में एक निर्णायक कदम हैं, जिसमें कर दरों के सरली करण, आवश्यक वस्तुओं पर राहत, व्यवसायों के लिए नकदी प्रवाह में सहजता और समग्र रूप से अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रें में प्रोत्साहन की झलक मिलती है। इस बार जीएसटी परिषद ने जटिल बहु.स्तरीय कर ढांचे को समाप्त कर एक सरलीकृत दो.स्लैब प्रणाली (5% और 18%) को अपनाया है। इससे न केवल अनुपालन आसान हुआ है, बल्कि कराधान को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की दिशा में भी यह एक बड़ा सुधार है। सबसे अहम बात यह रही कि परिषद ने आम आदमी के जीवन से जुड़ी वस्तुओं.जैसे साबुन, टूथपेस्ट, शैंपू, टूथब्रश, साइकिल, टेबलवेयर. पर करों को घटाकर 5% या शून्य कर दिया है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए ये दैनिक उपयोग की वस्तुएं अधिक सुलभ और सस्ती हो गई हैं। खास तौर पर मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लिए राहत का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य और आवास क्षेत्रें से आया है। जीवन रक्षक दवाओं, औषधियों, मेडिकल ऑक्सीजन, थर्मामीटर, डायग्नोस्टिक किट, चश्मा और सर्जिकल उपकरणों पर जीएसटी दरों में भारी कटौती ने स्वास्थ्य सेवा को आमजन के लिए पहले से अधिक सुलभ बना दिया है। इसके साथ ही, स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से मुक्त कर सरकार ने सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, जिससे ‘मिशन बीमा 2047’ के लक्ष्य को गति मिलेगी। रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र के लिए यह सुधार और भी महत्वपूर्ण है। सीमेंट जैसी निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दर को 28» से घटाकर 18% करने के साथ.साथ संगमरमर, ग्रेनाइट, बांस फर्श, और लकड़ी के पैकिंग मटेरियल्स पर कर को 12% से घटाकर 5% किया गया है, जिससे आवास निर्माण की लागत में सीधा प्रभाव पड़ेगा। यह निर्णय विशेष रूप से उन लोगों के लिए राहतकारी है, जो अपने सपनों का घर खरीदने का सपना देख रहे हैं। भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, जो लंबे समय से उच्च कर दरों के चलते प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही थी, को भी इस बार राहत मिली है। दोपहिया, छोटी कारें, ट्रक, बसें और ऑटो पार्ट्स पर जीएसटी दर को 28% से घटाकर 18% करने का फैसला न केवल वाहन खरीदने वालों को राहत देगा, बल्कि घरेलू वाहन निर्माण और निर्यात को भी बढ़ावा देगा। कृषि क्षेत्र की बात करें तो सरकार ने छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, सिंचाई उपकरणों और जैव.कीटनाशकों पर जीएसटी को घटाकर 5% कर दिया है। यह निर्णय कृषि की लागत घटाकर आत्मनिर्भर खेती को बल देगा और देश की खाद्य सुरक्षा में अहम योगदान देगा। शिक्षा क्षेत्र में जीएसटी दरों में कटौती से विद्यार्थियों और अभिभावकों को सीधी राहत मिली है। अभ्यास पुस्तिकाएं, पेंसिल, इरेजर, शार्पनर जैसे आवश्यक शैक्षणिक सामग्री को शून्य कर दायरे में लाकर शिक्षा को और अधिक वहनीय बनाया गया है। सेवा क्षेत्र, खासकर हॉस्पिटैलिटी और वेलनेस इंडस्ट्री को भी इस बार बड़ी राहत दी गई है। होटल में ठहरने, सैलून, जिम और योग सेवाओं पर जीएसटी दर को घटाकर 5% किया गया है, जिससे इन सेवाओं तक पहुंच आम आदमी के लिए अधिक सुलभ हो सकेगी। हस्तशिल्प और पारंपरिक कला क्षेत्र, जो अक्सर कर संरचना के कारण हाशिए पर चले जाते हैं, को भी पुनर्जीवन मिला है। लकड़ी, कपड़े और धातु से बने िखलौनों और हस्तशिल्प वस्तुओं पर करों में कमी ने न केवल इन उत्पादों की बाजार में स्वीकार्यता बढ़ाई है, बल्कि हजारों कारीगरों के लिए आजीविका का संरक्षण भी सुनिश्चित किया है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुधार केवल कर दरों का पुनर्गठन नहीं है, बल्कि यह व्यापक आर्थिक सुधार है जो समावेशी विकास की नींव रखता है। पॉली मेडिक्योर के एमडी हिमांशु बैद के अनुसार, ष्स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी को शून्य कर देना और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों पर दरों को कम करना एक दूरदर्शी निर्णय है, जिससे उपभोग में वृद्धि होगी और स्वास्थ्य क्षेत्र में समानता सुनिश्चित होगी। वहीं हस्तशिल्प क्षेत्र से जुड़े दिलीप बैद ने इस सुधार को ष्हस्तशिल्प क्षेत्र की जीवनरेखाष् बताते हुए कहा कि यह कदम लाखों कारीगरों के जीवन में नई उम्मीद जगा सकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि इन सुधारों से कर आधार में वृद्धि और राजस्व संग्रह में पारदर्शिता की भी उम्मीद की जा रही है। वर्ष 2017 में 66.5 लाख करदाताओं से बढ़कर 2025 में 1.51 करोड़ करदाताओं तक जीएसटी नेटवर्क का विस्तार, इसके प्रभावी कार्यान्वयन और प्रणाली पर जन विश्वास का प्रतीक है। 22 सितंबर 2025 से लागू होने जा रहे ये सुधार न केवल भारत के कर ढांचे को सरल और समावेशी बनाएंगे, बल्कि भारत के आर्थिक विकास के अगले चरण को भी परिभाषित करेंगे। जीएसटी अब महज कर नहीं, बल्कि समावेशी समृद्धि का माध्यम बन चुका है एक ऐसा उपकरण जो ‘जीवन में सुगमता’ और ‘व्यापार में सरलता’ दोनों को समान रूप से साधने का प्रयास करता है। इन परिवर्तनों के साथ भारत का जीएसटी मॉडल एक नई ऊंचाई की ओर अग्रसर है जहाँ कर नीतियाँ केवल संग्रह का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास और उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने का माध्यम बनती हैं। यह अगली पीढ़ी के लिए तैयार भारत का अगला कर युग है सरल, सशक्त और समावेशी।
दीवाली से पहले आम आदमी को बड़ी राहतः धामी
देहरादून। जीएसटी सुधार पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने दीपावली से पहले आम आदमी को बड़ी राहत दी है। जीएसटी स्लैब कम होने से तमाम समानों पर लगने वाला टैक्स का रेट कम हो जाएगा। नया जीएसटी स्लैब 22 सितंबर से लागू होगा। सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कहते हैं वो करते हैं। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला से ये कहा था कि दीपावली से पहले लोगों के जीवन को और अच्छा बनाने के लिए उपहार देंगे, जिसके तहत योजनाए लाएंगे और जीएसटी स्लैब ने बदलाव करेंगे। सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों, मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए करीब 175 से अधिक उत्पादों के जीएसटी स्लैब में बदलाव किया है। कई उत्पादों को जीएसटी फ्री भी कर दिया है, जो किसानों, मध्यम वर्गीय परिवारों और छात्रें को काफी राहत पहुंचाने वाला है। इसका लाभ दशहरे से पहले यानी 22 सितंबर से ही देशवासियों को मिलना शुरू हो जाएगा। इस पहल से न सिर्फ देश आगे बढ़ेगा बल्कि हर वर्ग के लोगों को उत्थान का अवसर मिलेगा।

 
									 
					