उत्तराखण्ड सत्य,खटीमा
नेपाल में चल रहे आंदोलन की आग अब भारतीय सीमाओं तक दस्तक देने लगी है। राजधानी काठमांडू से उठी इस चिंगारी ने अब नेपाल के कंचनपुर जिले के महेंद्रनगर तक पहुंचकर भारत-नेपाल सीमा के समीप उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रें में हलचल मचा दी है। इसके मद्देनजर खटीमा से लगे सीमा क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ कर दिया गया है। उत्तराखंड पुलिस और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) को हाई अलर्ट पर रखा गया है। कुमाऊं रेंज की आईजी रिद्धिम अग्रवाल ने खटीमा से सटे भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने एसएसबी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मेलाघाट इलाके का स्थलीय निरीक्षण किया। आईजी ने सीमांत क्षेत्र की जनता से जनसंवाद कर वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा की और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सामूहिक जागरूकता व सहयोग का आ“वान किया। सीमा सुरक्षा सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों की नहीं, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है। देश विरोधी गतिविधियों को लेकर जनता का सजग रहना और सुरक्षा एजेंसियों से समन्वय बनाना अत्यंत आवश्यक है। नेपाल में उत्पन्न अस्थिरता के मद्देनजर आईजी ने एसएसबी, उत्तराखंड पुलिस और वन विभाग को सीमांत इलाकों में संयुक्त पेट्रोलिंग और गश्त तेज करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विशेष रूप से हर आने.जाने वाले व्यक्ति की सघन निगरानी रखने पर जोर दिया है। 57वीं वाहिनी एसएसबी के कमांडेंट मनोहर लाल ने बताया कि भारत.नेपाल सीमा पर पहले की तुलना में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। एसएसबी द्वारा सीमा पर नियमित पेट्रोलिंग और चौकसी बरती जा रही है ताकि किसी भी तरह की अवांछनीय गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाई जा सके। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नेपाल की बदलती परिस्थितियों को देखते हुए राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा सख्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पुलिस, एसएसबी और प्रशासनिक अधिकारियों को सतर्क रहने और समय.समय पर स्थिति का मूल्यांकन कर आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देशित किया है। नेपाल र्में आंदोलन का असर भारत की सीमाओं तक महसूस किया जा रहा है। खटीमा जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रें में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिस तरह की तत्परता दिखाई गई है, वह सराहनीय है। आने वाले दिनों में सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय नागरिकों के समन्वय से ही सीमाओं को पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सकता है।

 
									 
					