उत्तराखण्ड सत्य, जम्मू
पहलगाम आतंकी हमले के बाद अशांत हुई घाटी में पर्यटन कारोबार बुरी तरह चौपट हो चुका है। कारोबारियों को अब अमरनाथ यात्रा पर आस है। उम्मीद की रही है कि श्री अमरनाथ यात्रा पर्यटन को संजीवनी मिलेगी। यात्रा के सफल आयोजन के बाद पर्यटकों का भरोसा लौटेगा। इसी के चलते उमर अब्दुल्ला सरकार ने अब पूरा ध्यान 3 जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर केन्द्रित कर लिया है। 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद से कश्मीर का पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ। रही सही कसर पाकिस्तान की गोलाबारी ने पूरी कर दी। एक पूरा का पूरा सीजन खराब हो गया। सात मई से 12 मई तक उड़ानें बंद रहीं। सीजफायर के बाद उड़ानें शुरू हुईं, तो पर्यटक आने शुरू हुए। इनमें अधिकतर ऐसे पर्यटक हैं, जिनकी पहले से बुकिंग थी। इससे हालात सामान्य होने लगे, मगर होटल कारोबारियों के अनुसार नई बुकिंग फिलहाल नहीं हो रही है। अब श्री अमरनाथ यात्रा पर सबकी नजर है।मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और गर्मी का मौसम काफी हद तक बर्बाद हो गया है। पर्यटन पर बहुत बुरा असर पड़ा है। हमारा यह गर्मी का मौसम लगभग बर्बाद हो गया है। हमारे पास शायद ही कोई पर्यटक आ रहा है। अब, हमारा ध्यान अमरनाथ यात्रा पर है। उन्होंने कहा हम चाहते हैं कि अमरनाथ यात्रा बिना किसी घटना के आगे बढ़े और हम चाहते हैं कि सभी यात्राी सुरक्षित और स्वस्थ वापस लौटें। उसके बाद, हम पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या कर सकते हैं, इस पर विचार करना शुरू करेंगे। अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर मौजूदा स्थिति के बारे में उमर ने कहा कि अभी तक भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सहमति के उल्लंघन की कोई रिपोर्ट नहीं है।उन्होंने कहा, नुकसान का आकलन किया जा रहा है। नुकसान का आकलन रिपोर्ट आने के बाद हम मुआवजा पैकेज पर काम करेंगे। हम जो भी कर सकते हैं, करेंगे और केंद्र से जो भी मदद की जरूरत होगी, हम उसका अनुरोध करेंगे। उमर ने यह भी उल्लेख किया कि पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को दूसरे देशों में भेजना एक अच्छा अवसर था। उन्होंने कहा इन प्रतिनिधिमंडलों में सभी प्रमुख दलों के सदस्य शामिल होंगे और यह महत्वपूर्ण देशों के समक्ष भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने का अच्छा अवसर है। उन्होंने याद दिलाया कि 2001 में अटल बिहारी सरकार के दौरान संसद पर हमले के बाद इसी तरह से कुछ देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजे गए थे।
अमरनाथ यात्रा की तैयारियां हुई तेज
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने तीन जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा की तैयारियां तेज कर दी हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रदेश की वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए श्रीनगर में यूनिफाइड कमांड की बैठक की। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी छाया से मुक्त अमरनाथ यात्रा के लिए कड़ी सुरक्षा के साथ सभी इंतजाम करने के निर्देश दिए। आतंकी नेटवर्क को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए दहशतगर्दों और उनके मददगारों (ओजीडब्ल्यू) के िखलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उपराज्यपाल ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिये पाकिस्तान व आतंकवादियों के नापाक मंसूबों को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिए सशस्त्र बलों, सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस को बधाई दी। सिन्हा ने कहा कि प्रदेश के कोने-कोने में आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को स्थायी रूप से नष्ट करना हमारी प्राथमिकता है। आम नागरिकों को सुरक्षा की पूरी भावना प्रदान करना बेहद जरूरी है। उपराज्यपाल ने सुरक्षा ग्रिड मजबूत करने और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत पर जोर दिया। एलजी ने बाबा बर्फानी की यात्रा के लिए सुरक्षा इंतजामों की विस्तार से समीक्षा की। पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति पर भी मंथन किया गया। बैठक में उत्तरी कमान सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा, मुख्य सचिव अटल डुल्लू, डीजीपी नलिन प्रभात के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियों व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
अमरनाथ यात्रियों के लिए तैनात रहेगा अभेद्य सुरक्षा कवच ‘त्रिनेत्र’
श्रीनगर। श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को ‘त्रिनेत्र’ एक सुरक्षित, शांत, भयमुक्त और विश्वासपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराएंगे। सूत्रें के अनुसार, श्रद्धालुओं के लिए तैयार किए जा रहे सुरक्षा ग्रिड को त्रिनेत्र नाम दिया गया है। यह बहुस्तरीय ग्रिड है, इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैन्यबल में सीआर पीएफ, आइटीबीपी, बीएसएफ, एसएसबी और सेना अपनी भूमिका का निर्वाह करेगी। घाटी में दोनों यात्रा मार्गों पर 20 हजार अर्धसैन्यबल के जवान तैनात रहेंगे। सीसीटीवी कैमरे, आरएफआइडी बैंड, ड्रोन और खोजी श्वान की भी मदद ली जाएगी। यात्रा मार्ग पर घोड़े, पालकी समेत विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वालों को उनकी पृष्ठभूमि की जांच के बाद ही अनुमति दी जाएगी। श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा दक्षिण कश्मीर में पहलगाम (अनंतनाग) से लगभग 40 किलोमीटर दूर समुद्रतल से लगभग 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गुफा तक जाने के दो ही मार्ग हैं, एक पहलगाम से और दूसरा बालटाल से। बालटाल से पवित्र गुफा तक 14 किलोमीटर की दूरी है। अमरनाथ यात्रा हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और उसके बाद उपजे हालात में यात्रा को सुरक्षित वातावरण में संपन्न कराने में प्रशासन व सुरक्षाबल जुटे हैं। पहलगाम और बालटाल के रास्ते पवित्र गुफा तक यात्रा मार्ग पर जवानों के साथ जंगल वारफेयर और पर्वतीय युद्ध कला में निपुण सुरक्षाबल के कमांडो दस्ते भी तैनात रहेंगे। दोनों प्रमुख आधार शिविरों से पवित्र गुफा तक के रास्ते पर सभी संवेदनशील स्थानों को चिह्नित कर लिया गया है और उन्हें पूर तरह सुरक्षित बनाया जा रहा है। इसके अलावा जम्मू से पहलगाम, खन्नाबल अनंतनाग से श्रीनगर, श्रीनगर से बालटाल तक राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास स्थित सभी प्रमुख कस्बों और बाजारों को आतंकी खतरे के आधार पर वर्गीकृत कर सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि लखनपुर-जम्मू-पहलगाम, अनंतनाग-श्रीनगर -गांदरबल- कंगन- बालटाल मार्ग पर स्थित सभी यात्राी शिविरों, लंगर सेवास्थल और सामुदायिक भवनों के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अलावा यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के वाहनों को सिर्फ चिन्हित स्थान पर ही रुकने की अनुमति होगी। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इस वर्ष अमरनाथ यात्रा में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिलेगी। यात्रा के लिए अर्धसैनिक बलों की 900 कंपनियां और सेना की अतिरिक्त तैनाती की जाएगी। सेना संवेदनशील स्थानों की पहचान कर चुकी है। खासतौर से पहलगाम और बालटाल में दो बेस कैंप बनाए गए है। यहां से अमरनाथ की तीर्थयात्रा की शुरुआत होती है। अभी इन्हें बंद किया जाएगा। कमांडो की तैनाती भी की जाएगी ताकि गुफा मंदिर को भी सुरक्षित किया जा सके। मीडिया रिपोर्ट में अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा को लेकर एक खास रणनीति तैयार की जा रही है। यात्रा के लिए एक बहु-स्तरीय सुरक्षा ग्रिड स्थापित किया जाएगा।