अरुणाचल के बाद उत्तराखंड देश में दूसरा सर्वश्रेष्ठ राज्य, संसाधन प्रबंधन और राजकोषीय अनुशासन में बेमिसाल प्रदर्शन
उत्तराखण्ड सत्य,रूद्रपुर
उत्तराखंड ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सुदृढ़ नीति, अनुशासित वित्तीय दृष्टिकोण और पारदर्शी शासन के बल पर सीमित संसाधनों वाला यह पहाड़ी प्रदेश भी राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता का उदाहरण पेश कर सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने वित्तीय प्रबंधन और राजकोषीय अनुशासन के क्षेत्र में ऐसा प्रदर्शन किया है जिसने देशभर में उत्तराखंड की धमक बढ़ा दी है। केंद्रीय वित्त मंत्रलय के अंतर्गत स्थापित अरुण जेटली नेशनल इंस्टीटयूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट द्वारा जारी कंपोजिट पब्लिक फाइनेंशियल परफॉर्मेंस इंडेक्स में उत्तराखंड ने विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की श्रेणी में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा स्थान हासिल किया है। यह रैंकिंग राज्यों के राजकोषीय अनुशासन, संसाधन प्रबंधन, घाटा नियंत्रण और ऋण प्रबंधन जैसे 23 वित्तीय मानकों पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड ने रिसोर्स मैनेजमेंट इंडेक्स में पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसका अर्थ है कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों का उपयोग अत्यंत दक्षता और पारदर्शिता के साथ किया है। इस सूचकांक में हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा। इसी तरह कंटींजेंट लायबिलिटी इंडेक्स यानी भविष्य की संभावित देनदारियों के प्रबंधन में भी उत्तराखंड शीर्ष पर रहा, जबकि हिमाचल तीसरे स्थान पर रहा। राज्य ने ऋण प्रबंधन के क्षेत्र में भी सुधार का ठोस उदाहरण पेश किया है। डेब्ट मैनेजमेंट इंडेक्स में उत्तराखंड विशेष श्रेणी के राज्यों में पांचवें स्थान पर रहा, जबकि पड़ोसी हिमाचल प्रदेश इस सूची में सबसे निचले स्थान पर रहा। घाटा प्रबंधन यानी डेफिसिट मैनेजमेंट इंडेक्स में भी उत्तराखंड ने पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया, जो राज्य के संतुलित वित्तीय दृष्टिकोण का संकेतक है। समग्र रूप से देखें तो कंपोजिट परफॉर्मेंस इंडेक्स में उत्तराखंड दूसरे स्थान पर रहा है, जो वित्तीय अनुशासन, कुशल संसाधन उपयोग और पारदर्शी आर्थिक नीति का परिणाम है। यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड के वित्तीय अनुशासन की देशभर में सराहना हुई है। इससे पहले कैग (भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने भी वित्तीय वर्ष 2013.14 से 2022.23 तक की दस वर्षीय रिपोर्ट में उत्तराखंड को उन 16 राज्यों में शामिल किया था, जो राजस्व सरप्लस स्थिति में हैं। राजस्व सरप्लस यानी राज्य की आय अपने खर्चों से अधिक है कृ जो किसी भी सरकार के सुदृढ़ आर्थिक स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। धामी सरकार के वित्तीय अनुशासन का सीधा असर राज्य के कर राजस्व पर भी देखने को मिला है। रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2020 से राज्य का कर राजस्व 14 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है। जीएसटी से 14 प्रतिशत, पेट्रोलियम और शराब पर 9 प्रतिशत, स्टांप एवं पंजीकरण शुल्क से 23 प्रतिशत और राज्य उत्पाद शुल्क से 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य के वित्तीय प्रबंधन का यह ग्राफ दर्शाता है कि सरकार ने स्थानीय संसाधनों को सशक्त करने के साथ. साथ कर संग्रह प्रणाली को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा, जिससे पारदर्शिता और दक्षता में उल्लेखनीय सुधार आया। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड का यह प्रदर्शन केवल संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि एक सुविचारित आर्थिक दृष्टिकोण का परिणाम है। सरकार ने जहां एक ओर ऋण प्रबंधन और घाटा नियंत्रण पर फोकस किया, वहीं दूसरी ओर स्थानीय संसाधनों से राजस्व बढ़ाने और वित्तीय निर्णयों में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। राज्य के वित्तीय अनुशासन की इस स्थिरता ने न केवल उसकी रैंकिंग में सुधार किया, बल्कि निवेशकों और नीति निर्माताओं के बीच उत्तराखंड की साख को भी मजबूत किया है। एजेएनआईएफएम और कैग दोनों की रिपोर्टों ने यह सिद्ध कर दिया है कि उत्तराखंड आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में सधे हुए कदम बढ़ा रहा है। सीमित संसाधनों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद राज्य ने वित्तीय अनुशासन का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरक मॉडल बन गया है।

