वित्त मंत्री के साथ 8,589 करोड़ की स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज परियोजनाओं समेत कई बाह्य सहायतित योजनाओं पर हुई विस्तृत चर्चा
उत्तराखण्ड सत्य,देहरादून
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर राज्य से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की। इस मुलाकात में मुख्यमंत्री ने राज्य की वित्तीय प्राथमिकताओं, नगरीय अवसंरचना की चुनौतियों और बाह्य सहायतित परियोजनाओं की स्वीकृति को लेकर केंद्र से विशेष सहयोग का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री को जीएसटी सुधारों के सफल क्रियान्वयन के लिए शुभकामनाएं देते हुए उत्तराखंड को वित्तीय मामलों में लगातार सहयोग देने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील और भारी वर्षा वाले प्रदेश में नगरीय क्षेत्रें पर जनसंख्या का दबाव तेजी से बढ़ रहा है, जिसके चलते शहरों में जल निकासी प्रणाली के आधुनिकीकरण की आवश्यकता अत्यंत बढ़ गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के सर्वाधिक वर्षा प्रभावित दस जिलों के लिए स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम के उन्नयन और सुधार हेतु विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किए गए हैं। इन योजनाओं की कुल अनुमानित लागत 8,589 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि इन परियोजनाओं को पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को दी जाने वाली विशेष सहायता योजना के अंतर्गत शीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री धामी ने बैठक के दौरान यह भी उल्लेख किया कि उत्तराखंड की कई बाह्य सहायतित परियोजनाएं अभी स्वीकृति की प्रतीक्षा में हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं में उत्तराखंड क्लाइमेट रेजिलिएंस डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिल चुकी है, जबकि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना के लिए 850 करोड़ रुपये और जलापूर्ति व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए 800 करोड़ रुपये की दो परियोजनाओं के प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजे गए हैं। मुख्यमंत्री ने इन दोनों प्रस्तावों को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया, ताकि राज्य में वित्तीय और जल संसाधन प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जा सके। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से पूर्व में मिले आश्वासन के क्रम में यह भी अनुरोध किया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 की बाह्य सहायतित परियोजनाओं की सीमा के अतिरिक्त राज्य की चार और प्रमुख परियोजनाओं को स्वीकृति दी जाए। इनमें दो हजार करोड़ रुपये की जल एवं स्वच्छता नगरीय अवसंरचना विकास परियोजना, 424 करोड़ रुपये की डीआरआईपी-प्प्प् (डैम रिहैबिलिटेशन एंड इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट), 3,638 करोड़ रुपये की उत्तराखंड क्लाइमेट रेजिलिएंट इंट्रा-स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन सिस्टम डेवलपमेंट परियोजना और 1,566 करोड़ रुपये की उत्तराखंड पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन रिलायबिलिटी इम्प्रूवमेंट परियोजना शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी परियोजनाओं की स्वीकृति से राज्य के जल संसाधन प्रबंधन, ऊर्जा क्षेत्र और सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली को नई दिशा और मजबूती मिलेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की विकास परियोजनाओं को लेकर हरसंभव सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र पर्वतीय राज्यों की भौगोलिक जटिलताओं और वित्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें विशेष प्राथमिकता दे रहा है। राजनीतिक और आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बैठक उत्तराखंड के विकास पथ को गति देने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मुख्यमंत्री धामी ने जिस स्पष्टता से राज्य की नगरीय अवसंरचना, जल निकासी और ऊर्जा विश्वसनीयता से जुड़ी चुनौतियों को सामने रखा है, वह बताता है कि सरकार अब विकास योजनाओं को पारंपरिक ढांचे से निकालकर परियोजना-आधारित परिणामों से जोड़ना चाहती है। यदि केंद्र इन प्रस्तावों को शीघ्र मंजूरी देता है, तो आने वाले तीन वर्षों में उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रें की जल निकासी, जलापूर्ति और विद्युत आपूर्ति की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है।
विकास के एजेंडे पर धामी की सक्रिय कूटनीति
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से हुई मुलाकात केवल औपचारिक शिष्टाचार भर नहीं थी, बल्कि राज्य की विकास प्राथमिकताओं को नई दिशा देने की एक रणनीतिक पहल थी। मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में राज्य की वित्तीय जरूरतों, शहरी अवसंरचना की चुनौतियों और बाह्य सहायतित परियोजनाओं की मंजूरी जैसे अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड को पूंजीगत निवेश की विशेष सहायता योजना के अंतर्गत अधिक सहयोग देने का आग्रह किया। धामी ने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील और वर्षा-प्रधान राज्य उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रें पर जनसंख्या का दबाव लगातार बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में शहरों की जल निकासी प्रणाली का सुदृढ़ीकरण न केवल आवश्यक, बल्कि अत्यावश्यक बन गया है। मुख्यमंत्री ने राज्य के दस सर्वाधिक वर्षा प्रभावित जिलों के लिए लगभग 8,589 करोड़ रुपये की स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज परियोजनाओं का विस्तृत खाका वित्त मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने इन परियोजनाओं को केंद्र की विशेष सहायता योजना के अंतर्गत स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य की बाह्य सहायतित परियोजनाओं के लंबित प्रस्तावों को भी शीघ्र स्वीकृति दिलाने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से तीन प्रमुख परियोजनाएं केंद्र को भेजी गई हैं, जिनमें से जलवायु अनुकूल विकास (क्लाइमेट रेजिलिएंस) परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है, जबकि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सुदृढ़ीकरण परियोजना और जलापूर्ति व्यवस्था सुधार परियोजना अभी प्रतीक्षारत हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि इन योजनाओं की मंजूरी से राज्य के वित्तीय प्रबंधन और जल संसाधन ढांचे में व्यापक सुधार आएगा। इसके साथ ही धामी ने वित्त मंत्री को चार नई प्रमुख परियोजनाओं का प्रस्ताव भी सौंपा। इनमें जल एवं स्वच्छता अवसंरचना, डैम रिहैबिलिटेशन, ऊर्जा प्रसारण और विद्युत वितरण सुदृढ़ीकरण से जुड़ी परियोजनाएँ शामिल हैं, जिनकी कुल अनुमानित लागत 7,600 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं की स्वीकृति से उत्तराखंड की बुनियादी संरचना और सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली को नई मजबूती मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार पर्वतीय राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हरसंभव सहयोग प्रदान करेगी। यह बयान उत्तराखंड के लिए राहत भरा संकेत माना जा रहा है, क्योंकि राज्य पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं और सीमित राजस्व संसाधनों की दोहरी चुनौती से जूझ रहा है। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो यह बैठक धामी की सक्रिय कूटनीति का उदाहरण है। केंद्र के साथ निरंतर संवाद बनाकर मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे राज्य के आर्थिक विकास को केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि ठोस योजनाओं के माध्यम से उसे जमीन पर उतारने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने जिस तेजी से वित्तीय और अवसंरचनात्मक मुद्दों पर केंद्र का ध्यान आकर्षित किया है, वह इसे विकास केंद्रित शासन के रूप में स्थापित करने की कोशिश का हिस्सा है। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, यदि केंद्र सरकार इन सभी परियोजनाओं को स्वीकृति देती है तो अगले तीन वर्षों में उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रें की जल निकासी, जलापूर्ति और ऊर्जा विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा। इससे न केवल राज्य की वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि आम जनता के जीवनस्तर में भी ठोस सुधार होगा।

 
									 
					