हॉट सीट कुरैया में भाजपा कांग्रेस के बीच रोचक मुकाबला,भाजपा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने झोंकी ताकत
उत्तराखण्ड सत्य,रूद्रपुर
रुद्रपुर की कुरैया जिला पंचायत सीट इन दिनों वर्चस्व का अखाड़ा बनी हुई है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बेहद कड़ा और दिलचस्प होता जा रहा है। कुल 28,700 मतदाताओं वाली इस सीट पर सत्ता और विपक्ष दोनों ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। चुनाव की तारीख नजदीक आते ही यहां सियासी पारा चढ़ गया है। कुरैया जिला पंचायत सीट रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र आती हैं, और मौजूदा विधायक होने के नाते विधायक शिव अरोरा की इस सीट पर खासी दिलचस्पी है, 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को देखते हुए विधायक शिव अरोरा इस सीट पर खासे सक्रिय हैं। इसी लिए यह सीट विधायक शिव अरोरा की साख से जुड़ी है, वहीं कांग्रेस के लिए यह चुनाव किच्छा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़ की पकड़ और रणनीति की परीक्षा है। बेहड़ की जिद पर ही कांग्रेस ने इस सीट पर सुनीता सिंह को टिकट दिया है। जिसके चलते बेहड़ इस सीट को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। दोनों ही दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में जमीनी स्तर से लेकर सोशल मीडिया तक पूरा जोर लगा रहे हैं। भाजपा ने यहां से वरिष्ठ पार्टी नेता उपेन्द्र चौधरी की पत्नी कोमल चौधरी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से संबंध रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सर्वेश सिंह की पत्नी सुनीता सिंह को प्रत्याशी बनाया है। एक निर्दलीय प्रत्याशी फरहा भी मैदान में हैं, लेकिन मुकाबला सीधे भाजपा बनाम कांग्रेस के बीच केंद्रित है। भाजपा की ओर से कोमल चौधरी के समर्थन में विधायक शिव अरोरा, महापौर विकास शर्मा, एवं पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता लगातार प्रचार में सक्रिय हैं। उनका प्रचार मुख्य रूप से राज्य सरकार के विकास कार्यों, डबल इंजन सरकार के लाभ और स्थायित्व के संदेश पर केंद्रित है। कोमल चौधरी मतदाताओं से गांव में विकास की धारा बहाने का वादा कर रही हैं। सत्ता में होने का लाभ भाजपा को संगठनात्मक स्तर पर स्पष्ट रूप से मिलता नजर आ रहा है। हालांकि कोमल चौधरी का स्थानीय न होना कांग्रेस के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस प्रत्याशी सुनीता सिंह भी पूरी मजबूती के साथ मैदान में डटी हैं। आंकड़ों की बात करें तो करीब 8000 मुस्लिम मतदाता और 6000 पूर्वांचली मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। कांग्रेस ने इस सामाजिक आधार को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़, पूर्व मेयर प्रत्याशी मोहन खेड़ा, और महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष मीना शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। चुनाव प्रचार के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों के बीच तीखी जुबानी जंग भी कुरैया सीट को और अधिक हाईलाइट कर रही है। पूर्व मंत्री बेहड़ द्वारा महापौर विकास शर्मा को फ्कल का बच्चाय् कहे जाने के बाद, महापौर ने बेहड़ पर बेनामी संपत्ति के आरोप लगाए और ईडी जांच की मांग भी उठाई। यह लहजा दर्शाता है कि कुरैया अब केवल एक पंचायत सीट नहीं, बल्कि सियासी वर्चस्व का अखाड़ा बन चुकी है। जहां भाजपा को सत्ता का समर्थन, संगठित प्रचार और संसाधन का लाभ मिल रहा है, वहीं कांग्रेस स्थानीय सामाजिक समीकरणों, पूर्वांचल-मुस्लिम एकजुटता और बेहड़ के जनाधार के सहारे पूरी ताकत से मैदान में है। दोनों ही प्रत्याशियों की अपनी-अपनी मजबूती है और कोई भी पक्ष फिलहाल निर्णायक बढ़त में नजर नहीं आता। कुरैया का यह चुनाव केवल जिला पंचायत सदस्य चुनने तक सीमित नहीं रह गया है। यह परिणाम भविष्य के विधानसभा समीकरणों, स्थानीय नेतृत्व की स्वीकार्यता, और दलगत रणनीतियों को भी प्रभावित करेगा। ऐसे में इस सीट पर भाजपा की सत्ता में होने के चलते बढ़त की संभावना जरूर है, लेकिन कांग्रेस की जमीनी पकड़ और जातीय-सामुदायिक गणित को नकारना फिलहाल जल्दबाजी होगी। कुल मिलाकर कुरैया का मुकाबला रोचक और बेहद प्रतिष्ठा पूर्ण हो चला है। जहां एक भी चूक, हार-जीत का अंतर तय कर सकती है।